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Class 10 Science Notes In Hindi Chapter-9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

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Class 10 Science Notes In Hindi Chapter-9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

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Class 10 Science Notes In Hindi Chapter-9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

Class 10 Science Notes In Hindi Chapter-9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास जैविक वंशानुक्रम की व्याख्या करता है, जिसका अर्थ है माता-पिता से उनके वंश में विशेषता या विशेषताएं गुजरना। आनुवंशिकता जानवरों के जीन में भिन्नता लाती है जो विकास को प्रभावित करती है। विकासवाद का उदाहरण जीवाश्म हैं जो दिखाते हैं कि पृथ्वी पर पहले जीवन के रूप में एक जानवर कभी विकसित हुआ है। यदि आप आनुवंशिकता के बारे में अधिक अवधारणाएं प्राप्त करना चाहते हैं, तो Class 10 Science Notes In Hindi Chapter-9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास के पीडीएफ फाइल डाउनलोड करें पिछले अध्याय में आपने पढ़ा है कि प्रत्येक जीव अलैंगिक या लैगिक प्रजनन के द्वारा अपने जैसे संतानों की उत्पत्ति करते हैं ये जीव मूल संरचना और आकार में अपने जनकों के समान ही होते हैं इस प्रकार एक जीव के मूल लक्षण ( पैतृक गुण पीढ़ीदरपीढ़ी संतानों में संचरित होते हैं , जिसके कारण जीवों के विभिन्न जातियों का अस्तित्व कायम रहता है जैसे मटर के बीज से मटर का ही पौधा उत्पन्न होता है कबूतर के अंडों कबूतर के बच्चे ही उत्पन्न होते हैं बिल्ली अपने ही समान बच्चों को जन्म देती है यद्यपि सभी जीवों की मूल संरचना एवं उनके लक्षण अपने जनकों के समान ही होते फिर भी प्रत्येक जीव अपने ही जैसे जीवों से या अपने जनकों कुछ भिन्न अवश्य होते हैं जैसे सभी मनुष्यों की मूल संरचना एक ही जैसी होती है , परंतु समरूप यमज ( identical twin ) को छोड़कर इनमें आपस में कुछ भिन्नता अवश्य होती है पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति ( origin ) तथा उनके क्रमिक विकास ( evolution ) एक प्रमाणित तथ्य पृथ्वी पर जीवों में विविधता , उनके क्रमिक एवं निरंतर विकास ( systematic and continuous evolution ) के कारण ही है इस अध्याय में आप आनुवंशिकता , लिंगनिर्धारण , जीवों के क्रम विकास के प्रमाण तथा उनसे संबद्ध सिद्धांतों का अध्ययन करेंगे

Class 10 Science Notes In Hindi Chapter-9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास Demo Short Notes

  • पृथ्वी पर जीवों में विविधता , उनके क्रमिक एवं निरंतर विकास के कारण ही है ।
  • विभिन्नता जीव के ऐसे गुण हैं जो उसे अपने जनकों अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता दर्शाते हैं ।
  • विभिन्नता दो प्रकार की होती है— ( क ) जननिक तथा ( ख ) कायिक ।
  •  जननिक विभिन्नता जनन – कोशिकाओं के क्रोमोसोम या जीन की संरचना या संख्या में परिवर्तन के कारण होती है । इसे आनुवंशिक विभिन्नता भी कहते हैं ; क्योंकि ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचरित होती हैं ।
  • कायिक विभिन्नता क्रोमोसोम या जीन के गुणों में परिवर्तन के कारण न होकर वातावरण के प्रभाव , भोजन के प्रकार , अन्य जीवों के साथ परस्पर व्यवहार जैसे कारणों से होती है ।
  • आनुवंशिक विभिन्नता पीढ़ी – दर – पीढ़ी वंशागत होकर संचित होती है ।
  • जनकों से उनके संतानों में पीढ़ी – दर – पीढ़ी युग्मकों के माध्यम से पैतृक गुणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है ।
  • आनुवंशिक लक्षण या विशेषक जो स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं , लक्षणप्ररूप या फेनोटाइप ( phenotype ) कहलाते हैं ।
  • किसी जीव की जीनी संरचना उस जीव का जीनप्ररूप या जीनोटाइप ( genotype ) कहलाता है ।
  • ग्रेगर जॉन मेंडल को आनुवंशिकी का पिता ( father of genetics ) कहा जाता है । मेंडल ने अपने प्रसिद्ध आनुवंशिकी के प्रयोग साधारण मटर ( Pisum sativum ) पर किए थे ।
  • मेंडल के एकसंकर संकरण के प्रयोग से प्राप्त लक्षणप्ररूपी अनुपात 3 : 1 तथा जीनप्ररूपी अनुपात 1 : 2 : 1 है । मेंडल का प्रथम नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है ।
  • मेंडल के द्विगुण संकरण से प्राप्त लक्षणप्ररूपी अनुपात 9 : 3 : 3 : 1 है । मेंडल के द्विगुण संकरण के प्रयोग से प्राप्त निष्कर्ष मेंडल के स्वतंत्र विन्यास का नियम कहलाता है ।
  • मनुष्य के 23 जोड़े क्रोमोसोम में से x तथा Y क्रोमोसोम ही मनुष्य में लिंग – निर्धारण के लिए उत्तरदायी हैं ।
  • जैव विकास जीवविज्ञान की वह शाखा है जिसमें जीवों की उत्पत्ति तथा उसके पूर्वजों का इतिहास तथा उनमें समय – समय पर हुए क्रमिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है ।
  • जीवों में विभिन्नता उत्परिवर्तन तथा आनुवंशिक पुनर्योग है । • किसी भी जातिविशेष के एक समष्टि या आबादी में स्थित समस्त जीन उस आबादी का जीनकोश ( gene pool ) कहलाता है ।
  • फ्रांसीसी वैज्ञानिक जे . बी . लामार्क के उपार्जित लक्षणों या लामार्कवाद तथा चार्ल्स डार्विन के प्राकृतिक चुनाव द्वारा जीवों का विकास या डार्विनवाद को ही सबसे पहले जैव विकास की व्याख्या के संबंध में वैज्ञानिक मान्यता मिली ।
  • प्रारंभ में प्रकाशसंश्लेषण करनेवाले जीव के न होने के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन नहीं था , इसलिए उस समय पृथ्वी का वातावरण अपचायक ( reducing ) था ।
  • अंतःप्रजनन , आनुवंशिक विचलन तथा प्राकृतिक चुनाव के द्वारा होनेवाले जाति – उद्भवन उन जीवों में हो सकते हैं जिनमें लैंगिक जनन होता है ।
  • जीवों के वर्गीकरण के अध्ययन से यह पता चलता है कि जैविक विकास के आधार पर जीवों के वर्गीकृत समूह किस प्रकार एक दूसरे से संबंधित हैं ।
  • ऑर्कियोप्टेरिक्स एक ऐसा जीवाश्म है जिसमें रेप्टीलिया तथा एवीज दोनों के गुण पाए जाते हैं । एक जीवाश्म की आयु ज्ञात करने का एक वैज्ञानिक विधि रेडियोकार्बन काल – निर्धारण है ।
  • जीवों के किसी जटिल अंग की उत्पत्ति अचानक नहीं , बल्कि अनगिनत पीढ़ियों में क्रमिक विकास के द्वारा हुई है ।
  • विकास के दृष्टिकोण से विभिन्न प्रजातियों के बीच आपस में संबंध का अन्वेशण लैंगिक जनन के समय उनके DNA में हुए परिवर्तन के अध्ययन से किया जा सकता है ।

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